भगत सिंह पर प्रेरणादायक हिंदी कविता 🇮🇳
जब करी थी उन्होंने यात्रा शुरू,
संग में उनके थे राजगुरु।
सुखदेव ने भी बढ़ाया हाथ,
हर पग पर दिया उनका साथ।
वो बहादुर शेर जो 1907 में जन्मे थे,
शुरुआत से ही वो देश प्रेम में तन्मय थे।
खिलाफ जाना किसी के राह कठिन थे,
ख्वाब भरे रात और मेहनतकश दिन थे।
भगत सिंह की तो इतिहास में रुचि थी,
मंजिल तो पाना ही था, बस मंज़िल थोड़ी ऊंची थी।
लाला लाजपत राय के मृत्यु का बदला लेने की ठानी थी,
मर मिटे वे बहादुर लोग, और दी उन्होंने कुर्बानी थी।
उस दिन दमनकारी कानूनों के खिलाफ उन्होंने बम फेंका था,
सच को दबते हुए, गुलामी को उभरते हुए उन्होंने भी देखा था।
उनके सगी संबंधियों और लेख आज भी उनके विचारों के दर्पण हैं,
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आजादी के लिए अर्पण हैं।
जेल में भी किया उन्होंने भूख हड़ताल,
बने वो सबके और हमारे लिए मिसाल।
सोचा नहीं कि क्या होगा, भले ही होगी ज़िंदगी बर्बाद,
बम फेंके पर भागे नहीं, बल्कि नारे लगाए—
"इंकलाब ज़िंदाबाद! इंकलाब ज़िंदाबाद!" 🚩
✍️ लेखिका: रोशनी कुमारी | 📅 प्रकाशित: जून 2025
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Nice Poem
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