मेरे राम(भाग 1)- By Roshni kumari
दशरथ कौशल्या के नंदन जैसे न कोई वीर बहादुर आए थे,
ताड़का जैसी राक्षसनी को वो एक बाण में मार गिराए थे ।
जब सीता स्वयंवर की बात आई तो हजारों बलवान हार पछताए थे,
परंतु एक क्षण में श्रीराम धनुष तोड़ विजय की जीत को पाए थे,
इसलिए अवध वासियों ने उनके आगमन पर खुशी
के दीप जलाएं थे ।।
वो आज्ञाकारी रघुनंदन जो कैकई के एक बार कहने पर चौदह वर्ष के वनवास को पाए थे
और वो बड़े भागे लक्ष्मण जो चौदह वर्ष श्री राम के सेवा में बिताए थे,
वो प्यारे भरत निहाल से वापस आए थे सुनकर वनवास की बाते वो रोए और पछताए
थे ।
इसलिए अवध वासियों ने उनके आगमन पर खुशी
के दीप जलाएं थे ll
Nice Post