मेरे राम(भाग 1)- By Roshni kumari

 Roshni kumari
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मेरे राम(भाग 1)- By Roshni kumari



दशरथ कौशल्या के नंदन जैसे न कोई वीर बहादुर आए थे,

ताड़का जैसी राक्षसनी को वो एक बाण में मार गिराए थे ।

जब सीता स्वयंवर की बात आई तो हजारों बलवान हार पछताए थे,

परंतु एक क्षण में श्रीराम धनुष तोड़ विजय की जीत को पाए थे,

इसलिए अवध वासियों ने उनके आगमन पर खुशी

के दीप जलाएं थे ।।

वो आज्ञाकारी रघुनंदन जो कैकई के एक बार कहने पर चौदह वर्ष के वनवास को पाए थे

और वो बड़े भागे लक्ष्मण जो चौदह वर्ष श्री राम के सेवा में बिताए थे,

वो प्यारे भरत निहाल से वापस आए थे सुनकर वनवास की बाते वो रोए और पछताए

थे ।

इसलिए अवध वासियों ने उनके आगमन पर खुशी

के दीप जलाएं थे ll

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कि अगर उसकी कोई मजबूरी ना होती तो वो कभी बेवफा न होता,
बेवजह तुम्हारी जिन्दगी से कभी वो खफा न होता,
और क्यों दोष देते हो उसे बार बार,
क्योंकि अगर उसमें कोई खूबी न होती तो तुम्हे उससे प्यार इक दफा ना होता।

- Roshni Kumari

कि ध्यान से निर्णय लेना,
क्योंकि मैं तुम्हारे लिये दिन रात रोई,
तुझको याद करते करते ना जाने कितनो को हूं खोई,
और शायद अभी ये गलत लग रहा होगा,
लेकिन बाद में क्या पता मेरे जितना प्यार करना वाला मिले ना फ़िर कोई।

- Roshni Kumari

कि रोज आकर इजहार करते हैं,
घंटों भर तुम्हारा इंतजार करते हैं,
और हमें पता है कि नहीं मिलना है यहां कुछ,
पर फिर भी ना जाने क्यों हम तुमसे प्यार करते हैं।

- Roshni Kumari

किस्मत तो सबकी लिखी होती है,
बस फर्क इतना है कुछ की कलम हमारी होती है,
कुछ की उनकी मुट्ठी में हमारी किस्मत होती है।

- Roshni Kumari

रिश्तों में वफ़ा नहीं रही,
दिलों में दर्द नहीं रहा,
जिंदगी अब पहले जैसी,
बस वो पहला सा मज़ा नहीं रहा।

- Roshni Kumari

मुस्कुराना तो आता था हमें भी बहुत,
पर जब से देखा है तुम्हें,
बिन मुस्कुराए गुजर नहीं होती।

- Roshni Kumari

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Nice Post

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